aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "lache"
इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश 'ग़ालिब'कि लगाए न लगे और बुझाए न बने
देखा है ज़िंदगी को कुछ इतने क़रीब सेचेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से
वही फिर मुझे याद आने लगे हैंजिन्हें भूलने में ज़माने लगे हैं
तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगेमैं एक शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे
ज़िंदगी क्या किसी मुफ़लिस की क़बा है जिस मेंहर घड़ी दर्द के पैवंद लगे जाते हैं
हसीं तो और हैं लेकिन कोई कहाँ तुझ साजो दिल जलाए बहुत फिर भी दिलरुबा ही लगे
यूँ लगे दोस्त तिरा मुझ से ख़फ़ा हो जानाजिस तरह फूल से ख़ुशबू का जुदा हो जाना
ये कहना था उन से मोहब्बत है मुझ कोये कहने में मुझ को ज़माने लगे हैं
ख़ूब पर्दा है कि चिलमन से लगे बैठे हैंसाफ़ छुपते भी नहीं सामने आते भी नहीं
फूल तो फूल हैं आँखों से घिरे रहते हैंकाँटे बे-कार हिफ़ाज़त में लगे रहते हैं
हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करतेवक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते
सुना है हमें वो भुलाने लगे हैंतो क्या हम उन्हें याद आने लगे हैं
अजीब शख़्स है नाराज़ हो के हँसता हैमैं चाहता हूँ ख़फ़ा हो तो वो ख़फ़ा ही लगे
कहानी ख़त्म हुई और ऐसी ख़त्म हुईकि लोग रोने लगे तालियाँ बजाते हुए
एक लम्हे में बिखर जाता है ताना-बानाऔर फिर उम्र गुज़र जाती है यकजाई में
अब वही करने लगे दीदार से आगे की बातजो कभी कहते थे बस दीदार होना चाहिए
तुम्हारा नाम आया और हम तकने लगे रस्तातुम्हारी याद आई और खिड़की खोल दी हम ने
आँखें जो उठाए तो मोहब्बत का गुमाँ होनज़रों को झुकाए तो शिकायत सी लगे है
इश्क़ में तहज़ीब के हैं और ही कुछ फ़लसफ़ेतुझ से हो कर हम ख़फ़ा ख़ुद से ख़फ़ा रहने लगे
ज़हर मीठा हो तो पीने में मज़ा आता हैबात सच कहिए मगर यूँ कि हक़ीक़त न लगे
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