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शेर
अब दिलों में कोई गुंजाइश नहीं मिलती 'हयात'
बस किताबों में लिक्खा हर्फ़-ए-वफ़ा रह जाएगा
हयात लखनवी
शेर
अल्लाह अल्लाह ये हंगामा-ए-पैकार-ए-हयात
अब वो आवाज़ भी देते हैं तो सुनते नहीं हम
सय्यद नवाब अफ़सर लखनवी
शेर
ज़हर पी कर भी यहाँ किस को मिली ग़म से नजात
ख़त्म होता है कहीं सिलसिला-ए-रक़्स-ए-हयात
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
शेर
फ़िक्र-ए-फ़र्दा ग़म-ए-इमरोज़ ग़म-ए-मौत-ओ-हयात
आदमी क्या हुआ मजमूआ'-ए-आलाम हुआ