aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ma.ngal"
मंगल को बजरंग-बली से तेरा शुक्र मनाऊँऔर शुक्र को तू अल्लाह से मेरा मंगल माँगे
सर से दयार-ए-ग़म के सनीचर उतार देमंगल है जिस में जा के वो जंगल उठा तो ला
मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगरलोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया
गिला भी तुझ से बहुत है मगर मोहब्बत भीवो बात अपनी जगह है ये बात अपनी जगह
ख़ुदा की इतनी बड़ी काएनात में मैं नेबस एक शख़्स को माँगा मुझे वही न मिला
मैं सच कहूँगी मगर फिर भी हार जाऊँगीवो झूट बोलेगा और ला-जवाब कर देगा
तेरे आने की क्या उमीद मगरकैसे कह दूँ कि इंतिज़ार नहीं
झुक कर सलाम करने में क्या हर्ज है मगरसर इतना मत झुकाओ कि दस्तार गिर पड़े
हम अम्न चाहते हैं मगर ज़ुल्म के ख़िलाफ़गर जंग लाज़मी है तो फिर जंग ही सही
तेरी मजबूरियाँ दुरुस्त मगरतू ने वादा किया था याद तो कर
कल तक तो आश्ना थे मगर आज ग़ैर होदो दिन में ये मिज़ाज है आगे की ख़ैर हो
ये आरज़ू भी बड़ी चीज़ है मगर हमदमविसाल-ए-यार फ़क़त आरज़ू की बात नहीं
हैं दलीलें तिरे ख़िलाफ़ मगरसोचता हूँ तिरी हिमायत में
उठ कर तो आ गए हैं तिरी बज़्म से मगरकुछ दिल ही जानता है कि किस दिल से आए हैं
यूँ बिछड़ना भी बहुत आसाँ न था उस से मगरजाते जाते उस का वो मुड़ कर दोबारा देखना
ख़ुदा से माँग जो कुछ माँगना है ऐ 'अकबर'यही वो दर है कि ज़िल्लत नहीं सवाल के बा'द
हज़ार बार जो माँगा करो तो क्या हासिलदुआ वही है जो दिल से कभी निकलती है
मैं लौटने के इरादे से जा रहा हूँ मगरसफ़र सफ़र है मिरा इंतिज़ार मत करना
तकलीफ़ मिट गई मगर एहसास रह गयाख़ुश हूँ कि कुछ न कुछ तो मिरे पास रह गया
बर्बाद कर दिया हमें परदेस ने मगरमाँ सब से कह रही है कि बेटा मज़े में है
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