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शेर
हक़ीक़ी और मजाज़ी शायरी में फ़र्क़ ये पाया
कि वो जामे से बाहर है ये पाजामे से बाहर है
अकबर इलाहाबादी
शेर
गुलाबी गाल पर कुछ रंग मुझ को भी जमाने दो
मनाने दो मुझे भी जान-ए-मन त्यौहार होली में
भारतेंदु हरिश्चंद्र
शेर
अगर तक़दीर सीधी है तो ख़ुद हो जाओगे सीधे
ख़फ़ा बैठे रहो तुम को मनाने कौन आता है