aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "machlaa"
आप पहलू में जो बैठें तो सँभल कर बैठेंदिल-ए-बेताब को आदत है मचल जाने की
जंग तो ख़ुद ही एक मसअला हैजंग क्या मसअलों का हल देगी
जब तुझे याद कर लिया सुब्ह महक महक उठीजब तिरा ग़म जगा लिया रात मचल मचल गई
शाम आए और घर के लिए दिल मचल उठेशाम आए और दिल के लिए कोई घर न हो
तलाश-ए-रिज़्क़ का ये मरहला अजब है कि हमघरों से दूर भी घर के लिए बसे हुए हैं
तुझ को पाने में मसअला ये हैतुझ को खोने के वसवसे रहेंगे
फूल खिले हैं लिखा हुआ है तोड़ो मतऔर मचल कर जी कहता है छोड़ो मत
ख़ुद अपनी मस्ती है जिस ने मचाई है हलचलनशा शराब में होता तो नाचती बोतल
मसअला जब भी चराग़ों का उठाफ़ैसला सिर्फ़ हवा करती है
दिल का दुख जाना तो दिल का मसअला है पर हमेंउस का हँस देना हमारे हाल पर अच्छा लगा
मुझे मनाओ नहीं मेरा मसअला समझोख़फ़ा नहीं मैं परेशान हूँ ज़माने से
तअल्लुक़ तोड़ने में पहल मुश्किल मरहला थाचलो हम ने तुम्हारा बोझ हल्का कर दिया है
यूँ ही आँखों में आ गए आँसूजाइए आप कोई बात नहीं
अच्छी सूरत नज़र आते ही मचल जाता हैकिसी आफ़त में न डाले दिल-ए-नाशाद मुझे
कैसा इंसाँ तरस रहा है जीने कोकैसे साहिल पर इक मछली ज़िंदा है
कहीं कहीं से कुछ मिसरे एक-आध ग़ज़ल कुछ शेरइस पूँजी पर कितना शोर मचा सकता था मैं
ऐ मिरे घर की फ़ज़ाओं से गुरेज़ाँ महताबअपने घर के दर-ओ-दीवार को कैसे छोड़ूँ
ये ख़ामोश मिज़ाजी तुम्हे जीने नहीं देगीइस दौर में जीना है तो कोहराम मचा दो
कफ़न ऐ गर्द-ए-लहद देख न मैला हो जाएआज ही हम ने ये कपड़े हैं नहा के बदले
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