aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "magan"
यूँ तिरी याद में दिन रात मगन रहता हूँदिल धड़कना तिरे क़दमों की सदा लगता है
आसमाँ अपने इरादों में मगन है लेकिनआदमी अपने ख़यालात लिए फिरता है
जुदा थी बाम से दीवार दर अकेला थामकीं थे ख़ुद में मगन और घर अकेला था
मैं अभी उस के तसव्वुर में मगन हूँ 'राशिद'वो भी आ जाए तो कह दो अभी बाहर ठहरे
मैं तिरे शहर से गुज़रा हूँ बगूले की तरहअपनी दुनिया में मगन अपने ख़यालात में गुम
वो क्लोज़-अप तो किसी भी इंक्लोजर में न थाअपने टीवी पर जो हम हो कर मगन देखा किए
दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो हैलम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है
मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगरलोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया
उस के चेहरे की चमक के सामने सादा लगाआसमाँ पे चाँद पूरा था मगर आधा लगा
गिला भी तुझ से बहुत है मगर मोहब्बत भीवो बात अपनी जगह है ये बात अपनी जगह
नहीं आती तो याद उन की महीनों तक नहीं आतीमगर जब याद आते हैं तो अक्सर याद आते हैं
मैं सच कहूँगी मगर फिर भी हार जाऊँगीवो झूट बोलेगा और ला-जवाब कर देगा
आप पहलू में जो बैठें तो सँभल कर बैठेंदिल-ए-बेताब को आदत है मचल जाने की
न कोई वा'दा न कोई यक़ीं न कोई उमीदमगर हमें तो तिरा इंतिज़ार करना था
तेरे आने की क्या उमीद मगरकैसे कह दूँ कि इंतिज़ार नहीं
तुम्हें ज़रूर कोई चाहतों से देखेगामगर वो आँखें हमारी कहाँ से लाएगा
कैसे कह दूँ कि मुलाक़ात नहीं होती हैरोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती है
मोहब्बत रंग दे जाती है जब दिल दिल से मिलता हैमगर मुश्किल तो ये है दिल बड़ी मुश्किल से मिलता है
वो न आएगा हमें मालूम था इस शाम भीइंतिज़ार उस का मगर कुछ सोच कर करते रहे
झुक कर सलाम करने में क्या हर्ज है मगरसर इतना मत झुकाओ कि दस्तार गिर पड़े
Jashn-e-Rekhta 10th Edition | 5-6-7 December Get Tickets Here
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books