आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "mah-e-do-hafta"
शेर के संबंधित परिणाम "mah-e-do-hafta"
शेर
बना कर तिल रुख़-ए-रौशन पर दो शोख़ी से से कहते हैं
ये काजल हम ने यारा है चराग़-ए-माह-ए-ताबाँ पर
असद अली ख़ान क़लक़
शेर
है ये फ़लक-ए-सिफ़्ला वो फीका सा फ़रंगी
रखता है मह ओ ख़ुर से जो पास अपने दो बिस्कुट
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
शेर
अभी रक्खा रहने दो ताक़ पर यूँही आफ़्ताब का आइना
कि अभी तो मेरी निगाह में वही मेरा माह-ए-तमाम है
सिराज लखनवी
शेर
गुलाबी गाल पर कुछ रंग मुझ को भी जमाने दो
मनाने दो मुझे भी जान-ए-मन त्यौहार होली में