aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "mahbas"
अपनी ही ज़ात के महबस में समाने से उठादर्द एहसास का सीने में दबाने से उठा
इतनी मिलती है मिरी ग़ज़लों से सूरत तेरीलोग तुझ को मिरा महबूब समझते होंगे
ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ न महसूस हो जहाँमैं दिल को उस मक़ाम पे लाता चला गया
ऐ दोस्त हम ने तर्क-ए-मोहब्बत के बावजूदमहसूस की है तेरी ज़रूरत कभी कभी
हर एक रात को महताब देखने के लिएमैं जागता हूँ तिरा ख़्वाब देखने के लिए
आशिक़ी में 'मीर' जैसे ख़्वाब मत देखा करोबावले हो जाओगे महताब मत देखा करो
दिल के फफूले जल उठे सीने के दाग़ सेइस घर को आग लग गई घर के चराग़ से
अजब तेरी है ऐ महबूब सूरतनज़र से गिर गए सब ख़ूबसूरत
गुल हो महताब हो आईना हो ख़ुर्शीद हो मीरअपना महबूब वही है जो अदा रखता हो
हम आप क़यामत से गुज़र क्यूँ नहीं जातेजीने की शिकायत है तो मर क्यूँ नहीं जाते
महसूस हो रहा है कि मैं ख़ुद सफ़र में हूँजिस दिन से रेल पर मैं तुझे छोड़ने गया
दिल भी तोड़ा तो सलीक़े से न तोड़ा तुम नेबेवफ़ाई के भी आदाब हुआ करते हैं
'ग़ालिब' छुटी शराब पर अब भी कभी कभीपीता हूँ रोज़-ए-अब्र ओ शब-ए-माहताब में
मुझ को मालूम है महबूब-परस्ती का अज़ाबदेर से चाँद निकलना भी ग़लत लगता है
एक मोहब्बत काफ़ी हैबाक़ी उम्र इज़ाफ़ी है
तुम्हें ख़याल नहीं किस तरह बताएँ तुम्हेंकि साँस चलती है लेकिन उदास चलती है
पाँव साकित हो गए 'सरवत' किसी को देख करइक कशिश महताब जैसी चेहरा-ए-दिलबर में थी
ज़बाँ ज़बाँ पे शोर था कि रात ख़त्म हो गईयहाँ सहर की आस में हयात ख़त्म हो गई
मिरी निगाह में कुछ और ढूँडने वालेतिरी निगाह में कुछ और ढूँडता हूँ मैं
वो चाँदनी में फिरते हैं घर घर ये शोर हैनिकला है आफ़्ताब शब-ए-माहताब में
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books