aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "mahmuud"
लफ़्ज़ ओ मंज़र में मआनी को टटोला न करोहोश वाले हो तो हर बात को समझा न करो
मौत उस की है करे जिस का ज़माना अफ़्सोसयूँ तो दुनिया में सभी आए हैं मरने के लिए
बच्चे मेरी उँगली थामे धीरे धीरे चलते थेफिर वो आगे दौड़ गए मैं तन्हा पीछे छूट गया
मैं आ गया हूँ वहाँ तक तिरी तमन्ना मेंजहाँ से कोई भी इम्कान-ए-वापसी न रहे
ये और बात कि चाहत के ज़ख़्म गहरे हैंतुझे भुलाने की कोशिश तो वर्ना की है बहुत
वो नहीं है न सही तर्क-ए-तमन्ना न करोदिल अकेला है इसे और अकेला न करो
चाँद ख़ामोश जा रहा था कहींहम ने भी उस से कोई बात न की
बस एक अपने ही क़दमों की चाप सुनता हूँमैं कौन हूँ कि भरे शहर में भी तन्हा हूँ
उस को देखा तो ये महसूस हुआहम बहुत दूर थे ख़ुद से पहले
जो हो सका न मिरा उस को भूल जाऊँ मैंपराई आग में क्यूँ उँगलियाँ जलाऊँ मैं
शम-ए-शब-ताब एक रात जलीजलने वाले तमाम उम्र जले
जीने वालों से कहो कोई तमन्ना ढूँडेंहम तो आसूदा-ए-मंज़िल हैं हमारा क्या है
वो मिरे साथ है साए की तरहदिल की ज़िद है कि नज़र भी आए
कितने चेहरे कितनी शक्लें फिर भी तन्हाई वहीकौन ले आया मुझे इन आईनों के दरमियाँ
शायद कि मर गया मिरे अंदर का आदमीआँखें दिखा रहा है बराबर का आदमी
पाँव उठते हैं किसी मौज की जानिब लेकिनरोक लेता है किनारा कि ठहर पानी है
अब दिल भी दुखाओ तो अज़िय्यत नहीं होतीहैरत है किसी बात पे हैरत नहीं होती
अब मुझ से कारोबार की हालत न पूछिएआईना बेचता हूँ मैं अंधों के शहर में
सितारा आँख में दिल में गुलाब क्या रखनाकि ढलती उम्र में रंग-ए-शबाब क्या रखना
औने-पौने ग़ज़लें बेचीं नज़्मों का व्यापार कियादेखो हम ने पेट की ख़ातिर क्या क्या कारोबार किया
Jashn-e-Rekhta 10th Edition | 5-6-7 December Get Tickets Here
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books