aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "makaan"
जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगाकिसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता
मिरे ख़ुदा मुझे इतना तो मो'तबर कर देमैं जिस मकान में रहता हूँ उस को घर कर दे
ऊँची इमारतों से मकाँ मेरा घिर गयाकुछ लोग मेरे हिस्से का सूरज भी खा गए
कच्चे मकान जितने थे बारिश में बह गएवर्ना जो मेरा दुख था वो दुख उम्र भर का था
भरे मकाँ का भी अपना नशा है क्या जानेशराब-ख़ाने में रातें गुज़ारने वाला
चराग़ों के बदले मकाँ जल रहे हैंनया है ज़माना नई रौशनी है
अगर यूँही मुझे रक्खा गया अकेले मेंबरामद और कोई इस मकान से होगा
हम से पूछो मिज़ाज बारिश काहम जो कच्चे मकान वाले हैं
चराग़-ए-राहगुज़र लाख ताबनाक सहीजला के अपना दिया रौशनी मकान में ला
तबाह कर गई पक्के मकान की ख़्वाहिशमैं अपने गाँव के कच्चे मकान से भी गया
मकाँ है क़ब्र जिसे लोग ख़ुद बनाते हैंमैं अपने घर में हूँ या मैं किसी मज़ार में हूँ
मकाँ शीशे का बनवाते हो 'आज़र'बहुत आएँगे पत्थर देख लेना
दिल से उठता है सुब्ह-ओ-शाम धुआँकोई रहता है इस मकाँ में अभी
न जाने कौन सा आसेब दिल में बस्ता हैकि जो भी ठहरा वो आख़िर मकान छोड़ गया
कहाँ चराग़ जलाएँ कहाँ गुलाब रखेंछतें तो मिलती हैं लेकिन मकाँ नहीं मिलता
दुख उदासी मलाल ग़म के सिवाऔर भी है कोई मकान में क्या
उठा लाया हूँ सारे ख़्वाब अपनेतिरी यादों के बोसीदा मकाँ से
'कैफ़' परदेस में मत याद करो अपना मकाँअब के बारिश ने उसे तोड़ गिराया होगा
मिरे वजूद के अंदर है इक क़दीम मकानजहाँ से मैं ये उदासी उधार लेती हूँ
गूँजता है बदन में सन्नाटाकोई ख़ाली मकान हो जैसे
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