आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "manqabat"
शेर के संबंधित परिणाम "manqabat"
शेर
शहीदान-ए-वफ़ा की मंक़बत लिखते रहे लेकिन
न की अर्ज़ी ख़ुदाओं की कभी हम्द-ओ-सना हम ने
अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद
शेर
न जाने कल हों कहाँ साथ अब हवा के हैं
कि हम परिंदे मक़ामात-ए-गुम-शुदा के हैं
राजेन्द्र मनचंदा बानी
शेर
सालिक है गरचे सैर-ए-मक़ामात-ए-दिल-फ़रेब
जो रुक गए यहाँ वो मक़ाम-ए-ख़तर में हैं
पंडित जवाहर नाथ साक़ी
शेर
तू अपने मन का मनका फेर ज़ाहिद वर्ना क्या हासिल
तुझे इस मक्र की तस्बीह से ज़ुन्नार बेहतर था