आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "mariyal"
शेर के संबंधित परिणाम "mariyal"
शेर
हमारे ब'अद उस मर्ग-ए-जवाँ को कौन समझेगा
इरादा है कि अपना मर्सिया भी आप ही लिख लें
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
शेर
हम पे जो गुज़री है बस उस को रक़म करते हैं
आप-बीती कहो या मर्सिया-ख़्वानी कह लो
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
शेर
हिज्र के दिन तो हुए ख़त्म बड़ी धूम के साथ
वस्ल की रात है क्यूँ मर्सिया-ख़्वानी करें हम
सालिम सलीम
शेर
दिल-लगी के वास्ते देहली में है मटिया-महल
कौन जावे ख़ाक उड़ाने मुल्क-ए-बीकानेर को
किशन लाल तालिब देहलवी
शेर
ग़म सीं अहल-ए-बैत के जी तो तिरा कुढ़ता नहीं
यूँ अबस पढ़ता फिरा जो मर्सिया तो क्या हुआ
आबरू शाह मुबारक
शेर
कहें हम बहर-ए-बे-पायान-ए-ग़म की माहियत किस से
न लहरों से कोई वाक़िफ़ न कोई थाह जाने है