aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "mo.ajiz-e-shaqqul-qamar"
कमान-ए-शाख़ से गुल किस हदफ़ को जाते हैंनशेब-ए-ख़ाक में जा कर मुझे ख़याल आया
इस क़दर महव-ए-तसव्वुर हूँ कि शक होता हैआईने में मिरी सूरत है कि सूरत तेरी
कमाँ अबरू निपट शह-ज़ोर हैगाकि शाख़-ए-आश्नाई तोड़ डाली
शाख़-ए-मिज़्गाँ पे महकने लगे ज़ख़्मों के गुलाबपिछले मौसम की मुलाक़ात की बू ज़िंदा है
कार-ए-दुनिया को भी कार-ए-इश्क़ में शामिल समझइस लिए ऐ ज़िंदगी तेरी पता रखता हूँ मैं
कमाल-ए-इश्क़ है दीवाना हो गया हूँ मैंये किस के हाथ से दामन छुड़ा रहा हूँ मैं
कीजिए कार-ए-ख़ैर में हाजत-ए-इस्तिख़ारा क्याकीजिए शग़्ल-ए-मय-कशी इस में किसी की राय क्यूँ
हम से मय-कश जो तौबा कर बैठेंफिर ये कार-ए-सवाब कौन करे
ताज़ा वारिद हूँ मियाँ और ये शहर-ए-दिल हैकुछ कमाने को यहाँ कार-ए-ज़ियाँ ढूँडता हूँ
बर-सर-ए-आम इक़रार अगर ना-मुम्किन है तो यूँही सहीकम-अज़-कम इदराक तो कर ले गुन बे-शक मत मान मिरे
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