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शेर
'सौदा' तू इस ग़ज़ल को ग़ज़ल-दर-ग़ज़ल ही कह
होना है तुझ को 'मीर' से उस्ताद की तरफ़
मोहम्मद रफ़ी सौदा
शेर
मोहब्बत की गवाही अपने होने की ख़बर ले जा
जिधर वो शख़्स रहता है मुझे ऐ दिल! उधर ले जा
ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर
शेर
अल्लाह अगर तौफ़ीक़ न दे इंसान के बस का काम नहीं
फ़ैज़ान-ए-मोहब्बत आम सही इरफ़ान-ए-मोहब्बत आम नहीं
जिगर मुरादाबादी
शेर
कहते हैं वो जो है 'सौदा' का क़सीदा ही ख़ूब
उन की ख़िदमत में लिए मैं ये ग़ज़ल जाऊँगा
मोहम्मद रफ़ी सौदा
शेर
हमारे दिल को इक आज़ार है ऐसा नहीं लगता
कि हम दफ़्तर भी जाते हैं ग़ज़ल-ख़्वानी भी करते हैं
इरफ़ान सिद्दीक़ी
शेर
अजब की साहिरी उस मन-हरन की चश्म-ए-फ़त्ताँ ने
दिया काजल सियाही ले के आँखों से ग़ज़ालाँ की