aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "nasr"
जो लुग़त को तोड़-मरोड़ दे जो ग़ज़ल को नस्र से जोड़ देमैं वो बद-मज़ाक़-ए-सुख़न नहीं वो जदीदिया कोई और है
ख़ैर को ख़ैर शर को शर कहनासर क़लम हो तो हो मगर कहना
वो आना चाहता है मेरे दिल मेंमगर कोई बहाना चाहता है
दिल धड़कने का सबब याद आयावो तिरी याद थी अब याद आया
आज देखा है तुझ को देर के बअ'दआज का दिन गुज़र न जाए कहीं
ऐ दोस्त हम ने तर्क-ए-मोहब्बत के बावजूदमहसूस की है तेरी ज़रूरत कभी कभी
वो कोई दोस्त था अच्छे दिनों काजो पिछली रात से याद आ रहा है
आरज़ू है कि तू यहाँ आएऔर फिर उम्र भर न जाए कहीं
तेरी मजबूरियाँ दुरुस्त मगरतू ने वादा किया था याद तो कर
जुदाइयों के ज़ख़्म दर्द-ए-ज़िंदगी ने भर दिएतुझे भी नींद आ गई मुझे भी सब्र आ गया
मिलने की तरह मुझ से वो पल भर नहीं मिलतादिल उस से मिला जिस से मुक़द्दर नहीं मिलता
मुझे ये डर है तिरी आरज़ू न मिट जाएबहुत दिनों से तबीअत मिरी उदास नहीं
ज़रा सी बात सही तेरा याद आ जानाज़रा सी बात बहुत देर तक रुलाती थी
दाएम आबाद रहेगी दुनियाहम न होंगे कोई हम सा होगा
भरी दुनिया में जी नहीं लगताजाने किस चीज़ की कमी है अभी
नए कपड़े बदल कर जाऊँ कहाँ और बाल बनाऊँ किस के लिएवो शख़्स तो शहर ही छोड़ गया मैं बाहर जाऊँ किस के लिए
हमारे घर की दीवारों पे 'नासिर'उदासी बाल खोले सो रही है
कौन अच्छा है इस ज़माने मेंक्यूँ किसी को बुरा कहे कोई
वक़्त अच्छा भी आएगा 'नासिर'ग़म न कर ज़िंदगी पड़ी है अभी
इस क़दर रोया हूँ तेरी याद मेंआईने आँखों के धुँदले हो गए
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