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शेर
हाँ वो नहीं ख़ुदा-परस्त जाओ वो बेवफ़ा सही
जिस को हो दीन ओ दिल अज़ीज़ उस की गली में जाए क्यूँ
मिर्ज़ा ग़ालिब
शेर
मैं कुफ़्र ओ दीं से गुज़र कर हुआ हूँ ला-मज़हब
ख़ुदा-परस्त से मतलब न बुत-परस्त से काम
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
शेर
किया अज़ल से है साने' ने बुत-परस्त मुझे
कभू बुतों से फिरूँ मैं ये तो ख़ुदा न करे
मोहम्मद रफ़ी सौदा
शेर
एक तरफ़ कुछ होंट मोहब्बत की रौशन आयात पढ़ें
इक सफ़ में हथियार सजाए सारे जंग-परस्त रहें
अहमद जहाँगीर
शेर
सज्दा करता हूँ मैं मेहराब समझ कर उस को
इश्क़ ने तेरे किया है मुझे शमशीर-परस्त
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
शेर
साक़िया अब के बड़े ज़ोरों पे हैं हम मय-परस्त
चल के वाइ'ज़ को सर-ए-मिंबर लताड़ा चाहिए
वज़ीर अली सबा लखनवी
शेर
नित जिन आँखों में रहे था तेरी सूरत का ख़याल
अब वो आँखें सूरत-ए-आईना हैं हैरत-परस्त