aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "parcha-e-savaal"
कुछ इश्क़ के निसाब में कमज़ोर हम भी हैंकुछ पर्चा-ए-सवाल भी आसान चाहिए
अश्कों के निशाँ पर्चा-ए-सादा पे हैं क़ासिदअब कुछ न बयाँ कर ये इबारत ही बहुत है
जुरअत-अफ़ज़ा-ए-सवाल ऐ ज़हे अंदाज़-ए-जवाबआती जाती है अब इस बुत की नहीं हाँ के क़रीब
कुछ कटी हिम्मत-ए-सवाल में उम्रकुछ उमीद-ए-जवाब में गुज़री
तमाम मसअले नौइयत-ए-सवाल के हैंजवाब होते हैं सारे सवाल के अंदर
जवाब आए न आए सवाल उठा तो सहीफिर इस सवाल में पहलू नए सवाल के रख
जो भीक माँगते हुए बच्चे के पास थाउस कासा-ए-सवाल ने सोने नहीं दिया
करीम जो तुझे देना है बे-तलब दे देफ़क़ीर हूँ प नहीं आदत-ए-सवाल मुझे
कुछ और माँगना मेरे मशरब में कुफ़्र हैला अपना हाथ दे मिरे दस्त-ए-सवाल में
गदा नहीं हैं कि दस्त-ए-सवाल फैलाएँकभी न आप ने पूछा कि आरज़ू क्या है
बोसा दहन का उस के न पाएँगे अपने लबदाग़ी है मैं ने नोक ज़बान-ए-सवाल की
वो एक डूबती आवाज़-ए-बाज़-गश्त कि आसवाल मैं ने किया था जवाब मैं ने दिया
लोग मुझ को मिरे आहंग से पहचान गएकौन बदनाम रहा शहर-ए-सुख़न में ऐसा
मुश्किल है इमतियाज़-ए-अज़ाब-ओ-सवाब मेंपीता हूँ मैं शराब मिला कर गुलाब में
लतीफ़ रूह के मानिंद जिस्म है किस कापियादा कौन वक़ार-ए-सवार रखता है
महसूस भी हो जाए तो होता नहीं बयाँनाज़ुक सा है जो फ़र्क़ गुनाह ओ सवाब में
बुरा सही मैं प नीयत बुरी नहीं मेरीमिरे गुनाह भी कार-ए-सवाब में लिखना
हम से मय-कश जो तौबा कर बैठेंफिर ये कार-ए-सवाब कौन करे
अबरू का इशारा किया तुम ने तो हुई ईदऐ जान यही है मह-ए-शव्वाल हमारा
अजीब हाल था अहद-ए-शबाब में दिल कामुझे गुनाह भी कार-ए-सवाब लगता था
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