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शेर
अक़्ल गुम है दिल परेशाँ है नज़र बेताब है
जुस्तुजू से भी नहीं मिलता सुराग़-ए-ज़ि़ंदगी
फ़ैज़ लुधियानवी
शेर
मिस्ल-ए-मजनूँ जो परेशाँ है बयाबान में आज
क्यूँ दिला कौन समाया है तिरे ध्यान में आज
जुरअत क़लंदर बख़्श
शेर
हाल-ए-परेशाँ सुन कर मेरा आँख में उस की आँसू हैं
मैं ने उस से झूट कहा हो ऐसा भी हो सकता है