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शेर
क्या ख़बर मुझ को ख़िज़ाँ क्या चीज़ है कैसी बहार
आँखें खोलीं आ के मैं ने ख़ाना-ए-सय्याद में
मुंशी अमीरुल्लाह तस्लीम
शेर
सालिक लखनवी
शेर
चाहूँ कि हाल-ए-वहशत-ए-दिल कुछ रक़म करूँ
भागें हुरूफ़ वक़्त-ए-निगारिश क़लम से दूर
सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम
शेर
आ गया ध्यान में मज़मूँ तिरी यकताई का
आज मतला हुआ मिस्रा मिरी तन्हाई का
सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम
शेर
ख़रीदारी है शहद ओ शीर ओ क़स्र ओ हूर ओ ग़िल्माँ की
ग़म-ए-दीं भी अगर समझो तो इक धंदा है दुनिया का
सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम
शेर
सरीर-ए-सल्तनत से आस्तान-ए-यार बेहतर था
हमें ज़िल्ल-ए-हुमा से साया-ए-दीवार बेहतर था
इनामुल्लाह ख़ाँ यक़ीन
शेर
मुहताज नहीं क़ाफ़िला आवाज़-ए-दरा का
सीधी है रह-ए-बुत-कदा एहसान ख़ुदा का
सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम
शेर
बोस-ओ-कनार के लिए ये सब फ़रेब हैं
इज़हार-ए-पाक-बाज़ी ओ ज़ौक़-ए-नज़र ग़लत
सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम
शेर
'नाज़िम' ये इंतिज़ाम रिआ'यत है नाम की
मैं मुब्तला नहीं हवस-ए-मुल्क-ओ-माल का
सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम
शेर
वाइ'ज़ ओ शैख़ सभी ख़ूब हैं क्या बतलाऊँ
मैं ने मयख़ाने से किस किस को निकलते देखा
सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम
शेर
है दौर-ए-फ़लक ज़ोफ़ में पेश-ए-नज़र अपने
किस वक़्त हम उठते हैं कि चक्कर नहीं आता
सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम
शेर
अफ़्साना-ए-मजनूँ से नहीं कम मिरा क़िस्सा
इस बात को जाने दो कि मशहूर नहीं है