aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "purvaa"
उस के चेहरे की चमक के सामने सादा लगाआसमाँ पे चाँद पूरा था मगर आधा लगा
नहीं दुनिया को जब पर्वा हमारीतो फिर दुनिया की पर्वा क्यूँ करें हम
जाने जो करे क़ौल न पूरा करे हर काम अधूरा यही दिन-रात तसव्वुर है कि नाहक़उसे चाहा जो न आए न बुलाए न कभी पास बिठाए न रुख़-ए-साफ़ दिखाए न कोई
यूँ भी हज़ारों लाखों में तुम इंतिख़ाब होपूरा करो सवाल तो फिर ला-जवाब हो
न सताइश की तमन्ना न सिले की परवागर नहीं हैं मिरे अशआर में मअ'नी न सही
इक और तीर चला अपना अहद पूरा करअभी परिंदे में थोड़ी सी जान बाक़ी है
यहाँ की औरतों को इल्म की परवा नहीं बे-शकमगर ये शौहरों से अपने बे-परवा नहीं होतीं
तुम जिसे याद करो फिर उसे क्या याद रहेन ख़ुदाई की हो परवा न ख़ुदा याद रहे
रखते हैं मोहब्बत को तग़ाफ़ुल में छुपा करपर्वा ही तो करते हैं जो पर्वा नहीं करते
हिज्र की रात और पूरा चाँदकिस क़दर है ये एहतिमाम ग़लत
जब नज़ारे थे तो आँखों को नहीं थी परवाअब इन्ही आँखों ने चाहा तो नज़ारे नहीं थे
किस की है ये तस्वीर जो बनती नहीं मुझ सेमैं किस का तक़ाज़ा हूँ कि पूरा नहीं होता
मैं दुनिया के मेआ'र पे पूरा नहीं उतरादुनिया मिरे मेआ'र पे पूरी नहीं उतरी
सोचा है कि अब कार-ए-मसीहा न करेंगेवो ख़ून भी थूकेगा तो पर्वा न करेंगे
आशिक़ों की ख़स्तगी बद-हाली की पर्वा नहींऐ सरापा नाज़ तू ने बे-नियाज़ी ख़ूब की
शब-भर का तिरा जागना अच्छा नहीं 'ज़ेहरा'फिर दिन का कोई काम भी पूरा नहीं होता
मस्जिद का है ख़याल न परवा-ए-चर्च हैजो कुछ है अब तो कॉलेज-ओ-टीचर में ख़र्च है
पूरा करेंगे होली में क्या वादा-ए-विसालजिन को अभी बसंत की ऐ दिल ख़बर नहीं
सोचता हूँ दयार-ए-बे-परवाक्यूँ मिरा एहतिराम करने लगा
हुस्न-ए-बे-परवा को ख़ुद-बीन ओ ख़ुद-आरा कर दियाक्या किया मैं ने कि इज़हार-ए-तमन्ना कर दिया
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