aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "qaum-e-english"
वहशत-ए-दिल के ख़रीदार भी नापैद हुएकौन अब इश्क़ के बाज़ार में खोलेगा दुकाँ
लोग मुझ को मिरे आहंग से पहचान गएकौन बदनाम रहा शहर-ए-सुख़न में ऐसा
ये तमाशा दीदनी ठहरा मगर देखेगा कौनहो गए हम राख तो दस्त-ए-दुआ रौशन हुआ
तेरे क़ौल-ओ-क़रार से पहलेअपने कुछ और भी सहारे थे
हिनाई हाथ से आँचल सँभालेये शरमाता हुआ कौन आ रहा है
दिल पर दस्तक देने कौन आ निकला हैकिस की आहट सुनता हूँ वीराने में
साफ़ कहिए कि प्यार करते हैंये निगाहों का क़ौल-ए-मुबहम क्या
उजाला है जो ये कौन-ओ-मकाँ मेंहमारी ख़ाक से लाया गया है
दोस्ती किस की रही याद वो किस पर भूलादूसरा बीच में कौन आ के मरा मेरे बा'द
स्टाम का वसीक़ा हुआ इस पर रजिस्ट्रीमानूँगा मैं न आप के क़ौल-ओ-क़सम फ़क़त
ये अदाएँ ये इशारे ये हसीं क़ौल-ओ-क़रारकितने आदाब के पर्दे में है इंकार की बात
आलम-ए-कौन-ओ-मकाँ नाम है वीराने कापास वहशत नहीं घर दूर है दीवाने का
जल्वे मिरी निगाह में कौन-ओ-मकाँ के हैंमुझ से कहाँ छुपेंगे वो ऐसे कहाँ के हैं
वहशत के इस नगर में वो क़ौस-ए-क़ुज़ह से लोगजाने कहाँ से आए थे जाने किधर गए
मसरूफ़-ए-ग़म हैं कौन-ओ-मकाँ जागते रहोख़्वाबों से उठ रहा है धुआँ जागते रहो
अजब तक़ाज़ा है मुझ से जुदा न होने काकि जैसे कौन-ओ-मकाँ मेरे इख़्तियार में है
वो कहाँ दर्द जो दिल में तिरे महदूद रहादर्द वो है जो दिल-ए-कौन-ओ-मकाँ तक पहुँचे
महफ़िल-ए-कौन-ओ-मकाँ तेरी ही बज़्म-ए-नाज़ हैहम कहाँ जाएँगे इस महफ़िल से उठ जाने के बा'द
बैठे भरे हुए हैं ख़ुम-ए-मय की तरह हमपर क्या करें कि मोहर है मुँह पर लगी हुई
'ग़ालिब' अपना ये अक़ीदा है ब-क़ौल-ए-'नासिख़'आप बे-बहरा है जो मो'तक़िद-ए-'मीर' नहीं
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