aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ra.iis"
किसी रईस की महफ़िल का ज़िक्र ही क्या हैख़ुदा के घर भी न जाएँगे बिन बुलाए हुए
लोग अच्छे हैं बहुत दिल में उतर जाते हैंइक बुराई है तो बस ये है कि मर जाते हैं
ख़ामोश ज़िंदगी जो बसर कर रहे हैं हमगहरे समुंदरों में सफ़र कर रहे हैं हम
तुम ने हँसते मुझे देखा है तुम्हें क्या मालूमकरनी पड़ती है अदा कितनी हँसी की क़ीमत
वरक़ वरक़ तुझे तहरीर करता रहता हूँमैं ज़िंदगी तिरी तशहीर करता रहता हूँ
मैं ने कितने रस्ते बदले लेकिन हर रस्ते में 'फ़रोग़'एक अंधेरा साथ रहा है रौशनियों के हुजूम लिए
मेरा भी एक बाप था अच्छा सा एक बापवो जिस जगह पहुँच के मरा था वहीं हूँ मैं
हुस्न को हुस्न बनाने में मिरा हाथ भी हैआप मुझ को नज़र-अंदाज़ नहीं कर सकते
तिरे सुलूक का ग़म सुब्ह-ओ-शाम क्या करतेज़रा सी बात पे जीना हराम क्या करते
न नींद आँखों में बाक़ी न इंतिज़ार रहाये हाल था तो कोई नेक काम क्या करते
बस इक ख़ता की मुसलसल सज़ा अभी तक हैमिरे ख़िलाफ़ मिरा आईना अभी तक है
सब के लिए सवाल ये कब है कि क्या न होउन को तो मुझ से ज़िद है कि मेरा कहा न हो
सिर्फ़ तारीख़ की रफ़्तार बदल जाएगीनई तारीख़ के वारिस यही इंसाँ होंगे
हम अपनी ज़िंदगी तो बसर कर चुके 'रईस'ये किस की ज़ीस्त है जो बसर कर रहे हैं हम
अपने हालात से मैं सुल्ह तो कर लूँ लेकिनमुझ में रू-पोश जो इक शख़्स है मर जाएगा
पहले ये शुक्र कि हम हद्द-ए-अदब से न बढ़ेअब ये शिकवा कि शराफ़त ने कहीं का न रखा
आदमी की तलाश में है ख़ुदाआदमी को ख़ुदा नहीं मिलता
किस ने देखे हैं तिरी रूह के रिसते हुए ज़ख़्मकौन उतरा है तिरे क़ल्ब की गहराई में
अपने को तलाश कर रहा हूँअपनी ही तलब से डर रहा हूँ
अभी से शिकवा-ए-पस्त-ओ-बुलंद हम-सफ़रोअभी तो राह बहुत साफ़ है अभी क्या है
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