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शेर
नून मीम राशिद
शेर
अब राह-ए-वफ़ा के पत्थर को हम फूल नहीं समझेंगे कभी
पहले ही क़दम पर ठेस लगी दिल टूट गया अच्छा ही हुआ
मंज़र सलीम
शेर
दिल में तेरे चेहरा-ए-पुर-नूर को करता हूँ याद
इश्क़-ए-गेसू में हुआ करता है सौदा रात को
लाला माधव राम जौहर
शेर
किया ख़ाक आतिश-ए-इश्क़ ने दिल-ए-बे-नवा-ए-'सिराज' कूँ
न ख़तर रहा न हज़र रहा मगर एक बे-ख़तरी रही
सिराज औरंगाबादी
शेर
परेशाँ हो के दिल तर्क-ए-तअल्लुक़ पर है आमादा
मोहब्बत में ये सूरत भी न रास आई तो क्या होगा
उनवान चिश्ती
शेर
कुछ ऐसी बन गई तस्वीर उस के दस्त-ए-क़ुदरत से
रहा हैराँ बना कर आप सूरत-आफ़रीं बरसों
बन्द्र इब्न-ए-राक़िम
शेर
मज्लिस में रात गिर्या-ए-मस्ताँ था तुझ बग़ैर
साग़र भरा शराब का चश्म-ए-पुर-आब था