aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "rape"
राह-ए-दूर-ए-इश्क़ में रोता है क्याआगे आगे देखिए होता है क्या
दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहेजब कभी हम दोस्त हो जाएँ तो शर्मिंदा न हों
दोस्ती जब किसी से की जाएदुश्मनों की भी राय ली जाए
सब लोग जिधर वो हैं उधर देख रहे हैंहम देखने वालों की नज़र देख रहे हैं
मकतब-ए-इश्क़ का दस्तूर निराला देखाउस को छुट्टी न मिले जिस को सबक़ याद रहे
वो आ रहे हैं वो आते हैं आ रहे होंगेशब-ए-फ़िराक़ ये कह कर गुज़ार दी हम ने
जो तूफ़ानों में पलते जा रहे हैंवही दुनिया बदलते जा रहे हैं
वो न आएगा हमें मालूम था इस शाम भीइंतिज़ार उस का मगर कुछ सोच कर करते रहे
शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हमआँधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे
हया नहीं है ज़माने की आँख में बाक़ीख़ुदा करे कि जवानी तिरी रहे बे-दाग़
अच्छा है दिल के साथ रहे पासबान-ए-अक़्ललेकिन कभी कभी इसे तन्हा भी छोड़ दे
कोई हम-दम न रहा कोई सहारा न रहाहम किसी के न रहे कोई हमारा न रहा
अपने सब यार काम कर रहे हैंऔर हम हैं कि नाम कर रहे हैं
किस तरह जमा कीजिए अब अपने आप कोकाग़ज़ बिखर रहे हैं पुरानी किताब के
नए किरदार आते जा रहे हैंमगर नाटक पुराना चल रहा है
मरज़-ए-इश्क़ जिसे हो उसे क्या याद रहेन दवा याद रहे और न दुआ याद रहे
आरज़ू तेरी बरक़रार रहेदिल का क्या है रहा रहा न रहा
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे होक्या ग़म है जिस को छुपा रहे हो
उसी को जीने का हक़ है जो इस ज़माने मेंइधर का लगता रहे और उधर का हो जाए
ये ज़रूरी है कि आँखों का भरम क़ाएम रहेनींद रक्खो या न रक्खो ख़्वाब मेयारी रखो
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