aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "raushe.n"
जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगाकिसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता
दिया ख़ामोश है लेकिन किसी का दिल तो जलता हैचले आओ जहाँ तक रौशनी मा'लूम होती है
अब हवाएँ ही करेंगी रौशनी का फ़ैसलाजिस दिए में जान होगी वो दिया रह जाएगा
चाँद भी हैरान दरिया भी परेशानी में हैअक्स किस का है कि इतनी रौशनी पानी में है
हज़ार शम्अ फ़रोज़ाँ हो रौशनी के लिएनज़र नहीं तो अंधेरा है आदमी के लिए
रुख़-ए-रौशन के आगे शम्अ रख कर वो ये कहते हैंउधर जाता है देखें या इधर परवाना आता है
इतना सच बोल कि होंटों का तबस्सुम न बुझेरौशनी ख़त्म न कर आगे अँधेरा होगा
जनाब के रुख़-ए-रौशन की दीद हो जातीतो हम सियाह-नसीबों की ईद हो जाती
अंधेरा है कैसे तिरा ख़त पढ़ूँलिफ़ाफ़े में कुछ रौशनी भेज दे
उन्हीं के फ़ैज़ से बाज़ार-ए-अक़्ल रौशन हैजो गाह गाह जुनूँ इख़्तियार करते रहे
हँसी थमी है इन आँखों में यूँ नमी की तरहचमक उठे हैं अंधेरे भी रौशनी की तरह
चराग़ों के बदले मकाँ जल रहे हैंनया है ज़माना नई रौशनी है
ख़ुदा की उस के गले में अजीब क़ुदरत हैवो बोलता है तो इक रौशनी सी होती है
रौशनी ढूँड के लाना कोई मुश्किल तो न थालेकिन इस दौड़ में हर शख़्स को जलते देखा
इक रौशनी सी दिल में थी वो भी नहीं रहीवो क्या गए चराग़-ए-तमन्ना बुझा गए
इन्ही ग़म की घटाओं से ख़ुशी का चाँद निकलेगाअँधेरी रात के पर्दे में दिन की रौशनी भी है
चराग़-ए-राहगुज़र लाख ताबनाक सहीजला के अपना दिया रौशनी मकान में ला
बड़े ताबाँ बड़े रौशन सितारे टूट जाते हैंसहर की राह तकना ता सहर आसाँ नहीं होता
एक लड़का शहर की रौनक़ में सब कुछ भूल जाएएक बुढ़िया रोज़ चौखट पर दिया रौशन करे
रौशन जमाल-ए-यार से है अंजुमन तमामदहका हुआ है आतिश-ए-गुल से चमन तमाम
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