aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "rifaaqat"
एक सीता की रिफ़ाक़त है तो सब कुछ पास हैज़िंदगी कहते हैं जिस को राम का बन-बास है
ये इंतिज़ार नहीं शम्अ है रिफ़ाक़त कीइस इंतिज़ार से तन्हाई ख़ूब-सूरत है
रहती है साथ साथ कोई ख़ुश-गवार यादतुझ से बिछड़ के तेरी रिफ़ाक़त गई नहीं
बाद मरने के भी छोड़ी न रिफ़ाक़त मेरीमेरी तुर्बत से लगी बैठी है हसरत मेरी
किसे कहें कि रिफ़ाक़त का दाग़ है दिल परबिछड़ने वाला तो खुल कर कभी मिला ही न था
कोई आसान रिफ़ाक़त नहीं लिक्खी मैं नेक़ुर्ब को जब भी लिखा जज़्ब-ए-रक़ाबत लिख्खा
ये चार दिन की रिफ़ाक़त भी कम नहीं ऐ दोस्ततमाम उम्र भला कौन साथ देता है
एक मुद्दत की रिफ़ाक़त का हो कुछ तो इनआ'मजाते जाते कोई इल्ज़ाम लगाते जाओ
तुम समुंदर की रिफ़ाक़त पे भरोसा न करोतिश्नगी लब पे सजाए हुए मर जाओगे
ज़िंदगी जिन की रिफ़ाक़त पे बहुत नाज़ाँ थीउन से बिछड़ी तो कोई आँख में आँसू भी नहीं
वो एक पल की रिफ़ाक़त भी क्या रिफ़ाक़त थीजो दे गई है मुझे उम्र भर की तन्हाई
सभी दरवाज़े खुले हैं मिरी तन्हाई केसारी दुनिया को मयस्सर है रिफ़ाक़त मेरी
इक न इक रोज़ रिफ़ाक़त में बदल जाएगीदुश्मनी को भी सलीक़े से निभाते जाओ
दिल मुब्तला-ए-हिज्र रिफ़ाक़त में रह गयालगता है कोई फ़र्क़ मोहब्बत में रह गया
क्या तअज्जुब है जो यारों ने रिफ़ाक़त छोड़ीबैठता कौन है गिरती हुई दीवार के पास
एक दर्द-ए-हस्ती ने उम्र भर रिफ़ाक़त कीवर्ना साथ देता है कौन आख़िरी दम तक
बदला जो वक़्त गहरी रिफ़ाक़त बदल गईसूरज ढला तो साए की सूरत बदल गई
मुख़लिस-ओ-हमदर्द बन कर जो करे है रहज़नीउस रफ़ीक़-ए-राह की भी है रिफ़ाक़त ज़लज़ला
खोया ग़म-ए-रिफ़ाक़त देखो कमाल अपनाबहका दिया है सब को दिखला के हाल अपना
कुछ लोग इब्तिदा-ए-रिफ़ाक़त से क़ब्ल हीआइंदा के हर एक गुज़िश्ता तक आ गए
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