aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "roommate"
ज़रा सी बात सही तेरा याद आ जानाज़रा सी बात बहुत देर तक रुलाती थी
अब ख़ुशी है न कोई दर्द रुलाने वालाहम ने अपना लिया हर रंग ज़माने वाला
वक़्त हर ज़ख़्म का मरहम तो नहीं बन सकतादर्द कुछ होते हैं ता-उम्र रुलाने वाले
ज़िंदगी ख़्वाब देखती है मगरज़िंदगी ज़िंदगी है ख़्वाब नहीं
सच के सौदे में न पड़ना कि ख़सारा होगाजो हुआ हाल हमारा सो तुम्हारा होगा
हद से टकराती है जो शय वो पलटती है ज़रूरख़ुद भी रोएँगे ग़रीबों को रुलाने वाले
रूदाद-ए-ग़म-ए-उल्फ़त उन से हम क्या कहते क्यूँकर कहतेइक हर्फ़ न निकला होंटों से और आँख में आँसू आ भी गए
दिल से उठता है सुब्ह-ओ-शाम धुआँकोई रहता है इस मकाँ में अभी
हँसी मज़ाक़ की बातें यहीं पे ख़त्म हुईंअब इस के बअ'द कहानी रुलाने वाली है
अब इक रूमाल मेरे साथ का हैजो मेरी वालिदा के हाथ का है
तेरी ताबिश से रौशन हैं गुल भी और वीराने भीक्या तू भी इस हँसती-गाती दुनिया का मज़दूर है चाँद?
मुझे ये ज़ोम कि मैं हुस्न का मुसव्विर हूँउन्हें ये नाज़ कि तस्वीर तो हमारी है
अपनी मजबूरी को हम दीवार-ओ-दर कहने लगेक़ैद का सामाँ किया और उस को घर कहने लगे
कहानी मेरी रूदाद-ए-जहाँ मालूम होती हैजो सुनता है उसी की दास्ताँ मालूम होती है
मेरे रुकते ही मिरी साँसें भी रुक जाएँगीफ़ासले और बढ़ा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी
ज़ाहिद तो बख़्शे जाएँ गुनहगार मुँह तकेंऐ रहमत-ए-ख़ुदा तुझे ऐसा न चाहिए
कहेगी हश्र के दिन उस की रहमत-ए-बे-हदकि बे-गुनाह से अच्छा गुनाह-गार रहा
तेरे आते ही देख राहत-ए-जाँचैन है सब्र है क़रार है आज
देते नहीं सुझाई जो दुनिया के ख़त्त-ओ-ख़ालआए हैं तीरगी में मगर रौशनी से हम
ज़ाहिद उमीद-ए-रहमत-ए-हक़ और हज्व-ए-मयपहले शराब पी के गुनाह-गार भी तो हो
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