aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "rulaatii"
ज़रा सी बात सही तेरा याद आ जानाज़रा सी बात बहुत देर तक रुलाती थी
क़िस्मत अजीब खेल दिखाती चली गईजो हँस रहे थे उन को रुलाती चली गई
शजर की याद रुलाती ही थी मगर अब तोजो आशियाँ के बराबर था वो क़फ़स भी गया
अब तो उस के बारे में तुम जो चाहो वो कह डालोवो अंगड़ाई मेरे कमरे तक तो बड़ी रूहानी थी
हर मुसीबत का दिया एक तबस्सुम से जवाबइस तरह गर्दिश-ए-दौराँ को रुलाया मैं ने
आईन-ए-जवाँ-मर्दां हक़-गोई ओ बे-बाकीअल्लाह के शेरों को आती नहीं रूबाही
यूँही दिल ने चाहा था रोना-रुलानातिरी याद तो बन गई इक बहाना
अब ख़ुशी है न कोई दर्द रुलाने वालाहम ने अपना लिया हर रंग ज़माने वाला
वक़्त हर ज़ख़्म का मरहम तो नहीं बन सकतादर्द कुछ होते हैं ता-उम्र रुलाने वाले
ज़िंदगी ख़्वाब देखती है मगरज़िंदगी ज़िंदगी है ख़्वाब नहीं
सच के सौदे में न पड़ना कि ख़सारा होगाजो हुआ हाल हमारा सो तुम्हारा होगा
हद से टकराती है जो शय वो पलटती है ज़रूरख़ुद भी रोएँगे ग़रीबों को रुलाने वाले
ये शुक्र है कि मिरे पास तेरा ग़म तो रहावगर्ना ज़िंदगी भर को रुला दिया होता
दिल से उठता है सुब्ह-ओ-शाम धुआँकोई रहता है इस मकाँ में अभी
लगी रहती है अश्कों की झड़ी गर्मी हो सर्दी होनहीं रुकती कभी बरसात जब से तुम नहीं आए
हाए वो लोग जो देखे भी नहींयाद आएँ तो रुला देते हैं
चराग़ बन के जली थी मैं जिस की महफ़िल मेंउसे रुला तो गया कम से कम धुआँ मेरा
इक उम्र के बा'द मुस्कुरा करतू ने तो मुझे रुला दिया है
रुलाएगी मिरी याद उन को मुद्दतों साहबकरेंगे बज़्म में महसूस जब कमी मेरी
हँसी मज़ाक़ की बातें यहीं पे ख़त्म हुईंअब इस के बअ'द कहानी रुलाने वाली है
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