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शेर
दर्द का रस्ता है या है साअ'त-ए-रोज़-ए-हिसाब
सैकड़ों लोगों को रोका एक भी ठहरा नहीं
अमजद इस्लाम अमजद
शेर
तिरी कोशिश हम ऐ दिल सई-ए-ला-हासिल समझते हैं
सर-ए-मंज़िल तुझे बेगाना-ए-मंज़िल समझते हैं
मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी
शेर
तस्कीन-ए-दिल-ए-महज़ूँ न हुई वो सई-ए-करम फ़रमा भी गए
इस सई-ए-करम को क्या कहिए बहला भी गए तड़पा भी गए
असरार-उल-हक़ मजाज़
शेर
साअत-ए-ईसवियाँ है कि मिरा दिल जिस में
ख़ुद-ब-ख़ुद चोट लगी ख़ुद-ब-ख़ुद आवाज़ हुई