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शेर
ख़त्म होगी कब ये वहशत ऐ ख़ुदा कब फ़ैसला होगा
ख़ाक में ख़ल्क़-ए-ख़ुदा मिल जाएगी तब फ़ैसला होगा
मुईद रशीदी
शेर
ऐ शैख़ ये जो मानें का'बा ख़ुदा का घर है
बुत-ख़ाना में बता तू फिर कौन जल्वा-गर है
सरदार गंडा सिंह मशरिक़ी
शेर
आमिल दरवेश
शेर
लम्स-ए-सदा-ए-साज़ ने ज़ख़्म निहाल कर दिए
ये तो वही हुनर है जो दस्त-ए-तबीब-ए-जाँ में था
अहमद शहरयार
शेर
जमील मज़हरी
शेर
वहाँ से ले गई नाकाम बदबख़्तों को ख़ुद-कामी
जहाँ चश्म-ए-करम से ख़ुद-ब-ख़ुद कुछ काम होना था
नातिक़ गुलावठी
शेर
ऐ ख़ुदा दुनिया पे अब क़ब्ज़ा बुतों का चाहिए
एक घर तेरे लिए इन सब ने ख़ाली कर दिया