aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "saadh"
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दोन जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए
मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगरलोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया
हुआ है तुझ से बिछड़ने के बा'द ये मा'लूमकि तू नहीं था तिरे साथ एक दुनिया थी
आप के बा'द हर घड़ी हम नेआप के साथ ही गुज़ारी है
उस के चेहरे की चमक के सामने सादा लगाआसमाँ पे चाँद पूरा था मगर आधा लगा
मैं सच कहूँगी मगर फिर भी हार जाऊँगीवो झूट बोलेगा और ला-जवाब कर देगा
जब भी आता है मिरा नाम तिरे नाम के साथजाने क्यूँ लोग मिरे नाम से जल जाते हैं
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हाक़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा
कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तिरा ख़याल भीदिल को ख़ुशी के साथ साथ होता रहा मलाल भी
कैसे कह दूँ कि मुझे छोड़ दिया है उस नेबात तो सच है मगर बात है रुस्वाई की
अच्छा है दिल के साथ रहे पासबान-ए-अक़्ललेकिन कभी कभी इसे तन्हा भी छोड़ दे
अपनी तबाहियों का मुझे कोई ग़म नहींतुम ने किसी के साथ मोहब्बत निभा तो दी
अभी ज़िंदा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगामैं घर से जब निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है
शर्तें लगाई जाती नहीं दोस्ती के साथकीजे मुझे क़ुबूल मिरी हर कमी के साथ
मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गयाहर फ़िक्र को धुएँ में उड़ाता चला गया
रहने को सदा दहर में आता नहीं कोईतुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई
सदा ऐश दौराँ दिखाता नहींगया वक़्त फिर हाथ आता नहीं
तू भी सादा है कभी चाल बदलता ही नहींहम भी सादा हैं इसी चाल में आ जाते हैं
इस तरह ज़िंदगी ने दिया है हमारा साथजैसे कोई निबाह रहा हो रक़ीब से
जान लेनी थी साफ़ कह देतेक्या ज़रूरत थी मुस्कुराने की
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