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शेर
इस अश्क ओ आह में सौदा बिगड़ न जाए कहीं
ये दिल कुछ आब-रसीदा है कुछ जला भी है
इनामुल्लाह ख़ाँ यक़ीन
शेर
सरापा रेहन-इश्क़-ओ-ना-गुज़ीर-उल्फ़त-हस्ती
इबादत बर्क़ की करता हूँ और अफ़्सोस हासिल का
मिर्ज़ा ग़ालिब
शेर
लाग़र ऐसा वहशत-ए-इश्क़-ए-लब-ए-शीरीं में हूँ
च्यूंटियाँ ले जाती हैं दाना मिरी ज़ंजीर का
असद अली ख़ान क़लक़
शेर
होता है राज़-ए-इश्क़-ओ-मोहब्बत इन्हीं से फ़ाश
आँखें ज़बाँ नहीं हैं मगर बे-ज़बाँ नहीं
असग़र गोंडवी
शेर
सँभल कर पाँव रखना वादी-ए-इश्क़-ओ-मोहब्बत में
यहाँ जो सैर को आता है बच कर कम निकलता है
साहिर सियालकोटी
शेर
ये माना सैल-ए-अश्क-ए-ग़म नहीं कुछ कम मगर 'अरशद'
ज़रा उतरा नहीं दरिया कि बंजर जाग उठता है
अरशद कमाल
शेर
ऐ सोज़-ए-इश्क़-ए-पिन्हाँ अब क़िस्सा मुख़्तसर है
इक्सीर हो चला हूँ इक आँच की कसर है
मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी
शेर
आजिज़ मातवी
शेर
हफ़ीज़ होशियारपुरी
शेर
रह-ए-इश्क़-ओ-वफ़ा भी कूचा-ओ-बाज़ार हो जैसे
कभी जो हो नहीं पाता वो सौदा याद आता है