aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "samajhnaa"
मोहब्बत को समझना है तो नासेह ख़ुद मोहब्बत करकिनारे से कभी अंदाज़ा-ए-तूफ़ाँ नहीं होता
ये नादानी नहीं तो क्या है 'दानिश'समझना था जिसे समझा रहा हूँ
समझना कम न हम अहल-ए-ज़मीं कोउतरते हैं सहीफ़े आसमाँ से
अजीब शख़्स था उस को समझना मुश्किल हैकिनार-ए-आब खड़ा था मगर वो प्यासा था
शोर में नफ़रत के मेरी बात ज़ाएअ' हो गईमेरा कहना और था उन का समझना और था
मुश्किल है बहुत उन की निगाहों को समझनाइक़रार का मफ़्हूम भी इक़रार नहीं है
समझते ही नहीं हैं लोग ना-समझी की मुश्किल कोसुहूलत देखते हैं और समझना छोड़ देते हैं
काफ़िर हूँ न फूँकूँ जो तिरे काबे में ऐ शैख़नाक़ूस बग़ल में है मुसल्ला न समझना
कब है आसाँ समझना 'ग़ालिब' को'मीर' जैसा कलाम लिख देना
उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है
तुम तकल्लुफ़ को भी इख़्लास समझते हो 'फ़राज़'दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला
ये इश्क़ नहीं आसाँ इतना ही समझ लीजेइक आग का दरिया है और डूब के जाना है
हुस्न के समझने को उम्र चाहिए जानाँदो घड़ी की चाहत में लड़कियाँ नहीं खुलतीं
हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैंउम्रें बीत जाती हैं दिल को दिल बनाने में
इतनी मिलती है मिरी ग़ज़लों से सूरत तेरीलोग तुझ को मिरा महबूब समझते होंगे
क्या कहूँ उस से कि जो बात समझता ही नहींवो तो मिलने को मुलाक़ात समझता ही नहीं
बात उल्टी वो समझते हैं जो कुछ कहता हूँअब की पूछा तो ये कह दूँगा कि हाल अच्छा है
बस जान गया मैं तिरी पहचान यही हैतू दिल में तो आता है समझ में नहीं आता
वो किसी को याद कर के मुस्कुराया था उधरऔर मैं नादान ये समझा कि वो मेरा हुआ
हम ऐसी कुल किताबें क़ाबिल-ए-ज़ब्ती समझते हैंकि जिन को पढ़ के लड़के बाप को ख़ब्ती समझते हैं
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books