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शेर
ओ दिल तोड़ के जाने वाले दिल की बात बताता जा
अब मैं दिल को क्या समझाऊँ मुझ को भी समझाता जा
हफ़ीज़ जालंधरी
शेर
देखने वाला कोई मिले तो दिल के दाग़ दिखाऊँ
ये नगरी अँधों की नगरी किस को क्या समझाऊँ
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
शेर
इश्क़ ओ मोहब्बत क्या होते हैं क्या समझाऊँ वाइज़ को
भैंस के आगे बीन बजाना मेरे बस की बात नहीं
कुँवर महेंद्र सिंह बेदी सहर
शेर
मैं तुम से दूर रह कर किस तरह ये तुम को समझाऊँ
कि मुझ से दूर रह कर किस क़दर हो तुम अकेली
मीम मारूफ़ अशरफ़
शेर
हम तो रात का मतलब समझें ख़्वाब, सितारे, चाँद, चराग़
आगे का अहवाल वो जाने जिस ने रात गुज़ारी हो