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शेर
दुनिया मेरी बला जाने महँगी है या सस्ती है
मौत मिले तो मुफ़्त न लूँ हस्ती की क्या हस्ती है
फ़ानी बदायुनी
शेर
शायरी में 'मीर'-ओ-'ग़ालिब' के ज़माना अब कहाँ
शोहरतें जब इतनी सस्ती हों अदब देखेगा कौन
मेराज फ़ैज़ाबादी
शेर
हक़ीक़त छुप नहीं सकती बनावट के उसूलों से
कि ख़ुशबू आ नहीं सकती कभी काग़ज़ के फूलों से
मिर्ज़ा मोहम्मद तक़ी तरक़्क़ी
शेर
मोहब्बत को छुपाए लाख कोई छुप नहीं सकती
ये वो अफ़्साना है जो बे-कहे मशहूर होता है