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शेर
हर शाख़ ज़र्द ओ सुर्ख़ ओ सियह हिज्र-ए-यार में
डसते हैं दिल को आन के जूँ नाग ऐ बसंत
इंशा अल्लाह ख़ान इंशा
शेर
बड़ी मुश्किल से ये जाना कि हिज्र-ए-यार में रहना
बहुत मुश्किल है पर आख़िर में आसानी बहुत है