aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "shahkaar"
जिस भी फ़नकार का शहकार हो तुमउस ने सदियों तुम्हें सोचा होगा
आलम में जिस की धूम थी उस शाहकार परदीमक ने जो लिखे कभी वो तब्सिरे भी देख
ज़िंदगी! तुझ सा मुनाफ़िक़ भी कोई क्या होगातेरा शहकार हूँ और तेरा ही मारा हुआ हूँ
ख़ुदा-या अपने कुन की लाज रख लेतिरा शहकार ज़ाए' हो रहा है
ये मंज़र ये रूप अनोखे सब शहकार हमारे हैंहम ने अपने ख़ून-ए-जिगर से क्या क्या नक़्श उभारे हैं
अल्फ़ाज़ मदह-ख़्वाँ थे क़लम थे बिके हुएकैसे तराश लेते कोई शाह-कार हम
एक ही फ़नकार के शहकार हैं दुनिया के लोगकोई बरतर किस लिए है कोई कम-तर किस लिए
फ़न जो मेआ'र तक नहीं पहुँचाअपने शहकार तक नहीं पहुँचा
रंगों से न रखिए किसी सूरत की तवक़्क़ोवो ख़ून का क़तरा है जो शहकार बनेगा
अपना शहकार अभी ऐ मिरे बुत-गर न बनादिल धड़कता है मिरा तू मुझे पत्थर न बना
वो तो ख़ुश-बू है हवाओं में बिखर जाएगामसअला फूल का है फूल किधर जाएगा
हुस्न के समझने को उम्र चाहिए जानाँदो घड़ी की चाहत में लड़कियाँ नहीं खुलतीं
मैं सच कहूँगी मगर फिर भी हार जाऊँगीवो झूट बोलेगा और ला-जवाब कर देगा
इतने घने बादल के पीछेकितना तन्हा होगा चाँद
कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तिरा ख़याल भीदिल को ख़ुशी के साथ साथ होता रहा मलाल भी
वो न आएगा हमें मालूम था इस शाम भीइंतिज़ार उस का मगर कुछ सोच कर करते रहे
कैसे कह दूँ कि मुझे छोड़ दिया है उस नेबात तो सच है मगर बात है रुस्वाई की
कुछ तो तिरे मौसम ही मुझे रास कम आएऔर कुछ मिरी मिट्टी में बग़ावत भी बहुत थी
चलने का हौसला नहीं रुकना मुहाल कर दियाइश्क़ के इस सफ़र ने तो मुझ को निढाल कर दिया
अब तो इस राह से वो शख़्स गुज़रता भी नहींअब किस उम्मीद पे दरवाज़े से झाँके कोई
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