aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "shahzaadii"
बाप बोझ ढोता था क्या जहेज़ दे पाताइस लिए वो शहज़ादी आज तक कुँवारी है
शहज़ादी तुझे कौन बताए तेरे चराग़-कदे तककितनी मेहराबें पड़ती हैं कितने दर आते हैं
ये मोहब्बत के महल ता'मीर करना छोड़ देमैं भी शहज़ादा नहीं हूँ तू भी शहज़ादी नहीं
कभी तेग़-ए-तेज़ सुपुर्द की कभी तोहफ़ा-ए-गुल-ए-तर दियाकिसी शाह-ज़ादी के इश्क़ ने मिरा दिल सितारों से भर दिया
वो जिस में लौट के आती थी एक शहज़ादीअभी तलक नहीं भूली वो दास्ताँ मुझ को
मैं समझती हूँ जिसे यौम-ए-विलादत अपनादर-हक़ीक़त वो मिरी मौत का पहला दिन था
मिली हैं सूखते दरिया को बहर की लहरेंतिरे गिलास में पानी पिया है शहज़ादी
शहज़ादी के कानों में जो बात कही थी इक तू नेब'अद तिरे वो बात तिरे ही अफ़्सानों में गूँजती है
क्या मुसीबत है ज़िंदगी या'नीमुझ को जीना पड़ेगा मरने तक
मिरे दिल में दिसम्बर जम गया हैपिघल कर साल भर बहता रहेगा
कूड़े-दानों में लाश की सूरतमैं ने देखे हैं प्यार के तोहफ़े
तलाशती हूँ मैं दिल की किताब में अक्सरवो फूल तू ने जो मुझ को कभी दिया ही नहीं
जो अलग हो गया था झुरमुट सेउस परिंदे की ख़ैर हो मौला
जैसे दीमक-ज़दा कोई लकड़ीयूँ तिरा हिज्र खाए जाता है
या'नी कि तू क़दीम जज़ीरा है इश्क़ काऔर इस में हूँ हुनूत-शुदा शाहज़ादी मैं
तेरी यादों की बाँध कर गठड़ीमैं बहुत दूर फेंक आई हूँ
शाहज़ादी की मर्ज़ी है लेकिनमुझ से अच्छा ग़ुलाम कोई नहीं
नई नई तो मैं शहर-ए-सुख़न में आई हूँअभी तो मुझ पे न पत्थर उछालिए साहब
हिज्र कुछ इस तरह अता हो मुझेमेरा जिस में विसाल हो जाए
इतनी पी जाए कि मिट जाए मैं और तू की तमीज़यानी ये होश की दीवार गिरा दी जाए
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