aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "shai"
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दोन जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए
चले तो पाँव के नीचे कुचल गई कोई शयनशे की झोंक में देखा नहीं कि दुनिया है
आ कि तुझ बिन इस तरह ऐ दोस्त घबराता हूँ मैंजैसे हर शय में किसी शय की कमी पाता हूँ मैं
दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो हैलम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है
अच्छी सूरत भी क्या बुरी शय हैजिस ने डाली बुरी नज़र डाली
आदमिय्यत और शय है इल्म है कुछ और शयकितना तोते को पढ़ाया पर वो हैवाँ ही रहा
या तेरे अलावा भी किसी शय की तलब हैया अपनी मोहब्बत पे भरोसा नहीं हम को
हर शय मुसाफ़िर हर चीज़ राहीक्या चाँद तारे क्या मुर्ग़ ओ माही
हद से टकराती है जो शय वो पलटती है ज़रूरख़ुद भी रोएँगे ग़रीबों को रुलाने वाले
हुस्न को भी कहाँ नसीब 'जिगर'वो जो इक शय मिरी निगाह में है
एक ही शय थी ब-अंदाज़-ए-दिगर माँगी थीमैं ने बीनाई नहीं तुझ से नज़र माँगी थी
अजीब शय है तसव्वुर की कार-फ़रमाईहज़ार महफ़िल-ए-रंगीं शरीक-ए-तन्हाई
न कर शुमार कि हर शय गिनी नहीं जातीये ज़िंदगी है हिसाबों से जी नहीं जाती
संसार की हर शय का इतना ही फ़साना हैइक धुँद से आना है इक धुँद में जाना है
कोई शय दिल को बहलाती नहीं हैपरेशानी की रुत जाती नहीं है
तड़पती देखता हूँ जब कोई शयउठा लेता हूँ अपना दिल समझ कर
ये डूबती हुई क्या शय है तेरी आँखों मेंतिरे लबों पे जो रौशन है उस का नाम है क्या
हर शख़्स पर किया न करो इतना ए'तिमादहर साया-दार शय को शजर मत कहा करो
ये है कि झुकाता है मुख़ालिफ़ की भी गर्दनसुन लो कि कोई शय नहीं एहसान से बेहतर
फूल की ख़ुशबू हवा की चाप शीशे की खनककौन सी शय है जो तेरी ख़ुश-बयानी में नहीं
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