aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "shajar-e-jaa.n"
ये किस लिए ऐ ज़माने तिरी करे तक़लीद'शजर' का रिज़्क-ए-सुख़न कर्बला से आता है
हो गए राम जो तुम ग़ैर से ए जान-ए-जहाँजल रही है दिल-ए-पुर-नूर की लंका देखो
दर्द-ए-दिल और जान-लेवा पुर्सिशेंएक बीमारी की सौ बीमारियाँ
मजनूँ से ये कहना कि मिरे शहर में आ जाएवहशत के लिए एक बयाबान अभी है
सफ़र है शर्त मुसाफ़िर-नवाज़ बहुतेरेहज़ार-हा शजर-ए-साया-दार राह में है
इक ये भी तो अंदाज़-ए-इलाज-ए-ग़म-ए-जाँ हैऐ चारागरो दर्द बढ़ा क्यूँ नहीं देते
अश्क-ए-ग़म उक़्दा-कुशा-ए-ख़लिश-ए-जाँ निकलाजिस को दुश्वार मैं समझा था वो आसाँ निकला
मानी-ए-जावेदान-ए-जाँ कुछ भी नहीं मगर ज़ियाँसारे कलीम हैं ज़ुबूँ सारा कलाम रंज है
साबित हुआ सुकून-ए-दिल-ओ-जाँ कहीं नहींरिश्तों में ढूँढता है तो ढूँडा करे कोई
उश्शाक़ जाँ-ब-कफ़ खड़े हैं तेरे आस-पासऐ दिल-रुबा-ए-ग़ारत-ए-जाँ अपने फ़न में आ
पूछ न वस्ल का हिसाब हाल है अब बहुत ख़राबरिश्ता-ए-जिस्म-ओ-जाँ के बीच जिस्म हराम हो गया
वही कैफ़िय्यत-ए-चश्म-ओ-दिल-ओ-जाँ है 'इक़बाल'न कोई रब्त बना और न रिश्ता टूटा
ख़ाक थी और जिस्म ओ जाँ कहते रहेचंद ईंटों को मकाँ कहते रहे
एक पत्ता शजर-ए-उम्र से लो और गिरालोग कहते हैं मुबारक हो नया साल तुम्हें
अज़ीज़-तर मुझे रखता है वो रग-ए-जाँ सेये बात सच है मिरा बाप कम नहीं माँ से
अज़ाब-ए-वहशत-ए-जाँ का सिला न माँगे कोईनए सफ़र के लिए रास्ता न माँगे कोई
वो बज़्म से निकाल के कहते हैं ऐ 'ज़हीर'जाओ मगर क़रीब-ए-रग-ए-जाँ रहा करो
हुसूल-ए-मंज़िल-ए-जाँ का हुनर नहीं आयावो रौशनी थी कि कुछ भी नज़र नहीं आया
ये किस की याद की बारिश में भीगता है बदनये कैसा फूल सर-ए-शाख़-ए-जाँ खिला हुआ है
हम मता-ए-दिल-ओ-जाँ ले के भला क्या जाएँऐसी बस्ती में जहाँ कोई लुटेरा भी नहीं
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books