aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "sharf"
यहाँ लिबास की क़ीमत है आदमी की नहींमुझे गिलास बड़े दे शराब कम कर दे
तुम्हारी आँखों की तौहीन है ज़रा सोचोतुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है
आए थे हँसते खेलते मय-ख़ाने में 'फ़िराक़'जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए
तुम भूल कर भी याद नहीं करते हो कभीहम तो तुम्हारी याद में सब कुछ भुला चुके
ज़ाहिद शराब पीने दे मस्जिद में बैठ करया वो जगह बता दे जहाँ पर ख़ुदा न हो
कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गईआओ कहीं शराब पिएँ रात हो गई
मरज़-ए-इश्क़ जिसे हो उसे क्या याद रहेन दवा याद रहे और न दुआ याद रहे
बे पिए ही शराब से नफ़रतये जहालत नहीं तो फिर क्या है
अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जाएँगेमर के भी चैन न पाया तो किधर जाएँगे
बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गईइक शख़्स सारे शहर को वीरान कर गया
ज़ाहिद शराब पीने से काफ़िर हुआ मैं क्यूँक्या डेढ़ चुल्लू पानी में ईमान बह गया
बारिश शराब-ए-अर्श है ये सोच कर 'अदम'बारिश के सब हुरूफ़ को उल्टा के पी गया
एक आँसू ने डुबोया मुझ को उन की बज़्म मेंबूँद भर पानी से सारी आबरू पानी हुई
अपने सामान को बाँधे हुए इस सोच में हूँजो कहीं के नहीं रहते वो कहाँ जाते हैं
आए कुछ अब्र कुछ शराब आएइस के ब'अद आए जो अज़ाब आए
तर-दामनी पे शैख़ हमारी न जाइयोदामन निचोड़ दें तो फ़रिश्ते वज़ू करें
साक़ी मुझे शराब की तोहमत नहीं पसंदमुझ को तिरी निगाह का इल्ज़ाम चाहिए
मालूम जो होता हमें अंजाम-ए-मोहब्बतलेते न कभी भूल के हम नाम-ए-मोहब्बत
ऐ 'ज़ौक़' तकल्लुफ़ में है तकलीफ़ सरासरआराम में है वो जो तकल्लुफ़ नहीं करता
'ज़ौक़' जो मदरसे के बिगड़े हुए हैं मुल्लाउन को मय-ख़ाने में ले आओ सँवर जाएँगे
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