aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "shariq"
अपने जलने में किसी को नहीं करते हैं शरीकरात हो जाए तो हम शम्अ बुझा देते हैं
बिखरी हुई वो ज़ुल्फ़ इशारों में कह गईमैं भी शरीक हूँ तिरे हाल-ए-तबाह में
एक महफ़िल में कई महफ़िलें होती हैं शरीकजिस को भी पास से देखोगे अकेला होगा
घर में ख़ुद को क़ैद तो मैं ने आज किया हैतब भी तन्हा था जब महफ़िल महफ़िल था मैं
रात थी जब तुम्हारा शहर आयाफिर भी खिड़की तो मैं ने खोल ही ली
रस्ते में मिल गया तो शरीक-ए-सफ़र न जानजो छाँव मेहरबाँ हो उसे अपना घर न जान
वो बात सोच के मैं जिस को मुद्दतों जीताबिछड़ते वक़्त बताने की क्या ज़रूरत थी
अब मुझे कौन जीत सकता हैतू मिरे दिल का आख़िरी डर था
अजीब शय है तसव्वुर की कार-फ़रमाईहज़ार महफ़िल-ए-रंगीं शरीक-ए-तन्हाई
कौन कहे मा'सूम हमारा बचपन थाखेल में भी तो आधा आधा आँगन था
हैं अब इस फ़िक्र में डूबे हुए हमउसे कैसे लगे रोते हुए हम
कौन था वो जिस ने ये हाल किया है मेराकिस को इतनी आसानी से हासिल था मैं
कैसे टुकड़ों में उसे कर लूँ क़ुबूलजो मिरा सारे का सारा था कभी
एक किरन बस रौशनियों में शरीक नहीं होतीदिल के बुझने से दुनिया तारीक नहीं होती
सब आसान हुआ जाता हैमुश्किल वक़्त तो अब आया है
कहाँ सोचा था मैं ने बज़्म-आराई से पहलेये मेरी आख़िरी महफ़िल है तन्हाई से पहले
कुछ इस तरह शरीक तिरी अंजुमन में हूँमहसूस हो रही है ख़ुद अपनी कमी मुझे
सारी दुनिया से लड़े जिस के लिएएक दिन उस से भी झगड़ा कर लिया
झूट पर उस के भरोसा कर लियाधूप इतनी थी कि साया कर लिया
फ़ासला रख के भी क्या हासिल हुआआज भी उस का ही कहलाता हूँ मैं
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books