aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "shii.o.n"
चुभन ये पीठ में कैसी है मुड़ के देख तो लेकहीं कोई तुझे पीछे से देखता होगा
गली के मोड़ से घर तक अँधेरा क्यूँ है 'निज़ाम'चराग़ याद का उस ने बुझा दिया होगा
तू अकेला है बंद है कमराअब तो चेहरा उतार कर रख दे
मंज़र को किसी तरह बदलने की दुआ देदे रात की ठंडक को पिघलने की दुआ दे
दोस्ती इश्क़ और वफ़ादारीसख़्त जाँ में भी नर्म गोशे हैं
जिन से अँधेरी रातों में जल जाते थे दिएकितने हसीन लोग थे क्या जाने क्या हुए
याद और याद को भुलाने मेंउम्र की फ़स्ल कट गई देखो
कहाँ जाती हैं बारिश की दुआएँशजर पर एक भी पत्ता नहीं है
मुझ को सादात की निस्बत के सबब मेरे ख़ुदाआजिज़ी देना तकब्बुर की अदा मत देना
अपनी पहचान भीड़ में खो करख़ुद को कमरों में ढूँडते हैं लोग
कोई दुआ कभी तो हमारी क़ुबूल करवर्ना कहेंगे लोग दुआ से असर गया
आरज़ू थी एक दिन तुझ से मिलूँमिल गया तो सोचता हूँ क्या करूँ
ज़ुल्म तो बे-ज़बान है लेकिनज़ख़्म को तू ज़बान कब देगा
अपने अफ़्साने की शोहरत उसे मंज़ूर न थीउस ने किरदार बदल कर मिरा क़िस्सा लिख्खा
निकले कभी न घर से मगर इस के बावजूदअपनी तमाम उम्र सफ़र में गुज़र गई
बरसों से घूमता है इसी तरह रात दिनलेकिन ज़मीन मिलती नहीं आसमान को
दरवाज़ा कोई घर से निकलने के लिए देबे-ख़ौफ़ कोई रास्ता चलने के लिए दे
आँखें कहीं दिमाग़ कहीं दस्त ओ पा कहींरस्तों की भीड़-भाड़ में दुनिया बिखर गई
यादों की रुत के आते ही सब हो गए हरेहम तो समझ रहे थे सभी ज़ख़्म भर गए
बीच का बढ़ता हुआ हर फ़ासला ले जाएगाएक तूफ़ाँ आएगा सब कुछ बहा ले जाएगा
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