aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
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मकतब में मिरे जुनूँ के मजनूँनादान है तिफ़्ल-ए-अबजदी है
तुम्हारी ज़ुल्फ़ का हर तार मोहनहुआ मेरे गले का हार मोहन
पकड़ा हूँ किनारा-ए-जुदाईजारी मिरे अश्क की नदी है
न मिले जब तलक विसाल उस कातब तलक फ़ौत है मिरा मतलब
सनम किस बंद सीं पहुँचूँ तिरे पासहज़ारों बंद हैं तेरी क़बा के
तकिया-ए-मख़मली सिरहाने रखलेकिन आँखों सीं अपनी ख़्वाब निकाल
फ़िदा कर जान अगर जानी यही हैअरे दिल वक़्त-ए-बे-जानी यही है
बोलता हूँ जो वो बुलाता हैतन के पिंजरे में उस का तोता हूँ
इश्क़ दोनों तरफ़ सूँ होता हैक्यूँ बजे एक हात सूँ ताली
इश्क़ का नाम गरचे है मशहूरमैं तअ'ज्जुब में हूँ कि क्या शय है
ग़ैर तरफ़ क्यूँकि नज़र कर सकूँख़ौफ़ है तुझ इश्क़ के जासूस का
न बूझो आसमाँ पर तुम सितारेहमारी आह की चिंगारियाँ हैं
तिरे सलाम के धज देख कर मिरे दिल नेशिताब आक़ा मुझे रुख़्सती सलाम किया
हक़ में उश्शाक़ के क़यामत हैक्या करम क्या इताब क्या दुश्नाम
इश्क़ और अक़्ल में हुई है शर्तजीत और हार का तमाशा है
नहीं बुझती है प्यास आँसू सीं लेकिनकरें क्या अब तो याँ पानी यही है
मकतब-ए-इश्क़ का मोअल्लिम हूँक्यूँ न होए दर्स-ए-यार की तकरार
तिरी अबरू है मेहराब-ए-मोहब्बतनमाज़-ए-इश्क़ मेरे पर हुई फ़र्ज़
सुना है जब सीं तेरे हुस्न का शोरलिया ज़ाहिद ने मस्जिद का किनारा
मुफ़्ती-ए-नाज़ ने दिया फ़तवाख़ून-ए-आशिक़ हलाल करता है
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