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शेर
तर्क-ए-मोहब्बत करने वालो कौन ऐसा जुग जीत लिया
इश्क़ से पहले के दिन सोचो कौन बड़ा सुख होता था
फ़िराक़ गोरखपुरी
शेर
हुस्न इक दरिया है सहरा भी हैं उस की राह में
कल कहाँ होगा ये दरिया ये भी तो सोचो ज़रा
अब्दुल हफ़ीज़ नईमी
शेर
तुम तो ख़ुद सहरा की सूरत बिखरे बिखरे लगते हो
'फ़र्रुख़' से 'फ़र्रुख़' को सोचो कैसे तुम मिलवाओगे