aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "sofa"
फ़ासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा न थासामने बैठा था मेरे और वो मेरा न था
जिस भी फ़नकार का शहकार हो तुमउस ने सदियों तुम्हें सोचा होगा
तुम्हें जब रू-ब-रू देखा करेंगेये सोचा है बहुत सोचा करेंगे
अब घर भी नहीं घर की तमन्ना भी नहीं हैमुद्दत हुई सोचा था कि घर जाएँगे इक दिन
आप की जानिब से आए तो उठा कर रख लिएपत्थरों से घर सजाने का कभी सोचा न था
हाए वो ज़िंदगी-फ़रेब आँखेंतू ने क्या सोचा मैं ने क्या समझा
कहाँ सोचा था मैं ने बज़्म-आराई से पहलेये मेरी आख़िरी महफ़िल है तन्हाई से पहले
उठाए फिरता रहा मैं बहुत मोहब्बत कोफिर एक दिन यूँही सोचा ये क्या मुसीबत है
वो न जाने क्या समझा ज़िक्र मौसमों का थामैं ने जाने क्या सोचा बात रंग-ओ-बू की थी
तुम आ गए हो ख़ुदा का सुबूत है ये भीक़सम ख़ुदा की अभी मैं ने तुम को सोचा था
ऐसे मिला है हम से शनासा कभी न थावो यूँ बदल ही जाएगा सोचा कभी न था
रोज़ सोचा है भूल जाऊँ तुझेरोज़ ये बात भूल जाता हूँ
दर-ब-दर होने से पहले कभी सोचा भी न थाघर मुझे रास न आया तो किधर जाऊँगा
हम क्या करें सवाल ये सोचा नहीं अभीवो क्या जवाब देंगे ये धड़का अभी से है
सिदक़-ओ-सफ़ा-ए-क़ल्ब से महरूम है हयातकरते हैं बंदगी भी जहन्नम के डर से हम
हारने वालों ने इस रुख़ से भी सोचा होगासर कटाना है तो हथियार न डाले जाएँ
सोचा है कि अब कार-ए-मसीहा न करेंगेवो ख़ून भी थूकेगा तो पर्वा न करेंगे
देख कर उस को लगा जैसे कहीं हो देखायाद बिल्कुल नहीं आया मुझे घंटों सोचा
कभी न सोचा था मैं ने उड़ान भरते हुएकि रंज होगा ज़मीं पर मुझे उतरते हुए
चर्ख़ को कब ये सलीक़ा है सितमगारी मेंकोई माशूक़ है इस पर्दा-ए-ज़ंगारी में
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