aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ta.DaKH"
किस को थी ख़बर इस में तड़ख़ जाएगा दिल भीहम ख़ुश थे बहुत सेहन में दीवार उठा कर
मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बसख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं
ज़िंदगी किस तरह बसर होगीदिल नहीं लग रहा मोहब्बत में
ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों नेलम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सज़ा पाई
पूछा जो उन से चाँद निकलता है किस तरहज़ुल्फ़ों को रुख़ पे डाल के झटका दिया कि यूँ
कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक सेये नए मिज़ाज का शहर है ज़रा फ़ासले से मिला करो
कोशिश भी कर उमीद भी रख रास्ता भी चुनफिर इस के ब'अद थोड़ा मुक़द्दर तलाश कर
ख़्वाब की तरह बिखर जाने को जी चाहता हैऐसी तन्हाई कि मर जाने को जी चाहता है
कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़किसी की आँख में हम को भी इंतिज़ार दिखे
दिल अभी पूरी तरह टूटा नहींदोस्तों की मेहरबानी चाहिए
कुछ इस तरह से गुज़ारी है ज़िंदगी जैसेतमाम उम्र किसी दूसरे के घर में रहा
ख़्वाब ही ख़्वाब कब तलक देखूँकाश तुझ को भी इक झलक देखूँ
एक ही तो हवस रही है हमेंअपनी हालत तबाह की जाए
किस तरह जमा कीजिए अब अपने आप कोकाग़ज़ बिखर रहे हैं पुरानी किताब के
सुना है उस के बदन की तराश ऐसी हैकि फूल अपनी क़बाएँ कतर के देखते हैं
मिलने की तरह मुझ से वो पल भर नहीं मिलतादिल उस से मिला जिस से मुक़द्दर नहीं मिलता
इस तरह ज़िंदगी ने दिया है हमारा साथजैसे कोई निबाह रहा हो रक़ीब से
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती हैमाँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है
तुम मेरी तरफ़ देखना छोड़ो तो बताऊँहर शख़्स तुम्हारी ही तरफ़ देख रहा है
अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगामगर तुम्हारी तरह कौन मुझ को चाहेगा
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