aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "taba.o.n"
मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बसख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं
दिल के फफूले जल उठे सीने के दाग़ सेइस घर को आग लग गई घर के चराग़ से
एक ही तो हवस रही है हमेंअपनी हालत तबाह की जाए
बिखरी हुई वो ज़ुल्फ़ इशारों में कह गईमैं भी शरीक हूँ तिरे हाल-ए-तबाह में
किस किस की ज़बाँ रोकने जाऊँ तिरी ख़ातिरकिस किस की तबाही में तिरा हाथ नहीं है
बड़े ताबाँ बड़े रौशन सितारे टूट जाते हैंसहर की राह तकना ता सहर आसाँ नहीं होता
तबाह कर गई पक्के मकान की ख़्वाहिशमैं अपने गाँव के कच्चे मकान से भी गया
किया तबाह तो दिल्ली ने भी बहुत 'बिस्मिल'मगर ख़ुदा की क़सम लखनऊ ने लूट लिया
किस किस तरह की दिल में गुज़रती हैं हसरतेंहै वस्ल से ज़ियादा मज़ा इंतिज़ार का
ज़िक्र जब होगा मोहब्बत में तबाही का कहींयाद हम आएँगे दुनिया को हवालों की तरह
दिल्ली छुटी थी पहले अब लखनऊ भी छोड़ेंदो शहर थे ये अपने दोनों तबाह निकले
शैख़ साहब से रस्म-ओ-राह न कीशुक्र है ज़िंदगी तबाह न की
जो तिरे इश्क़ में तबाह हुआकोई उस को तबाह कर न सका
दोनों तेरी जुस्तुजू में फिरते हैं दर दर तबाहदैर हिन्दू छोड़ कर काबा मुसलमाँ छोड़ कर
क्यूँ 'मुनीर' अपनी तबाही का ये कैसा शिकवाजितना तक़दीर में लिक्खा है अदा होता है
अभी दिलों की तनाबों में सख़्तियाँ हैं बहुतअभी हमारी दुआ में असर नहीं आया
हर एक रात के पहलू से दिन निकलता हैवो लोग कैसे सँवर जाएँ जो तबाह नहीं
हक़ीक़त जिस जगह होती है ताबानी बताती हैकोई पर्दे में होता है तो चिलमन जगमगाती है
करता मैं दर्दमंद तबीबों से क्या रुजूअजिस ने दिया था दर्द बड़ा वो हकीम था
ज़लज़ला आया और आ कर हो गया रुख़्सत मगरवक़्त के रुख़ पर तबाही की इबारत लिख गया
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