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शेर
तू है मअ'नी पर्दा-ए-अल्फ़ाज़ से बाहर तो आ
ऐसे पस-मंज़र में क्या रहना सर-ए-मंज़र तो आ
फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी
शेर
मैं लफ़्ज़-ए-ख़ाम हूँ कोई कि तर्जुमान-ए-ग़ज़ल
ये फ़ैसला किसी ताज़ा किताब पर ठहरा
जमुना प्रसाद राही
शेर
अदा-ए-हुस्न ने बख़्शी है ताक़त-ए-परवाज़
हवा-ए-शौक़ में उड़ता हूँ बाल-ओ-पर न सही