aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "tarsaa.o"
ज़िंदगी किस तरह बसर होगीदिल नहीं लग रहा मोहब्बत में
पूछा जो उन से चाँद निकलता है किस तरहज़ुल्फ़ों को रुख़ पे डाल के झटका दिया कि यूँ
ख़्वाब की तरह बिखर जाने को जी चाहता हैऐसी तन्हाई कि मर जाने को जी चाहता है
कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़किसी की आँख में हम को भी इंतिज़ार दिखे
दिल अभी पूरी तरह टूटा नहींदोस्तों की मेहरबानी चाहिए
कुछ इस तरह से गुज़ारी है ज़िंदगी जैसेतमाम उम्र किसी दूसरे के घर में रहा
किस तरह जमा कीजिए अब अपने आप कोकाग़ज़ बिखर रहे हैं पुरानी किताब के
मिलने की तरह मुझ से वो पल भर नहीं मिलतादिल उस से मिला जिस से मुक़द्दर नहीं मिलता
इस तरह ज़िंदगी ने दिया है हमारा साथजैसे कोई निबाह रहा हो रक़ीब से
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती हैमाँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है
तुम मेरी तरफ़ देखना छोड़ो तो बताऊँहर शख़्स तुम्हारी ही तरफ़ देख रहा है
जिस तरफ़ तू है उधर होंगी सभी की नज़रेंईद के चाँद का दीदार बहाना ही सही
मैं ने चाहा है तुझे आम से इंसाँ की तरहतू मिरा ख़्वाब नहीं है जो बिखर जाएगा
आ कि तुझ बिन इस तरह ऐ दोस्त घबराता हूँ मैंजैसे हर शय में किसी शय की कमी पाता हूँ मैं
हद है अपनी तरफ़ नहीं मैं भीऔर उन की तरफ़ ख़ुदाई है
तुम हमारे किसी तरह न हुएवर्ना दुनिया में क्या नहीं होता
ऐ शम्अ' तुझ पे रात ये भारी है जिस तरहमैं ने तमाम उम्र गुज़ारी है इस तरह
अब जिस तरफ़ से चाहे गुज़र जाए कारवाँवीरानियाँ तो सब मिरे दिल में उतर गईं
कोई ख़ुद-कुशी की तरफ़ चल दियाउदासी की मेहनत ठिकाने लगी
हर शख़्स दौड़ता है यहाँ भीड़ की तरफ़फिर ये भी चाहता है उसे रास्ता मिले
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